ताशी नाम था उसका। उम्र यही कोई दस बारह साल की रही होगी। लद्दाख के कोई बड़ी दूर दराज इलाके से चंडीगढ़ पीजीआई में इलाज कराने के लिए पहुंची थी। घरवालों का साथ नहीं था सो इलाके के किसी लामा ने व्यवस्था की थी उसका इलाज कराने की। उसको ब्लड कैंसर था।
मुझे एक दिन पीजीआई के पुअर पेशेंट सेल से फोन आया कि एक ऐसी लड़की है जिसको मदद की जरूरत है। अगर अखबार में उसकी मदद के बारें कुछ भी आ जाएगा तो शायद उसका इलाज हो सकेगा। फोन सुनने के बाद मैं ताशी से मिलने पहुंचा। उसके साथ दो अन्य लड़कियां उसी के क्षेत्र से आई थी। पद्मा और शीइंग नाम था उनका। मैंने ताशी और उसके साथ आई दोनों लड़कियों से बात की। अगले दिन अखबार में मदद की खबर प्रकाशित की तो शहर के एक एनजीओ ने आगे बढ़ते हुए ताशी का इलाज ताउम्र कराने का वायदा कर दिया। उसका इलाज शुरू हो गया। मैं भी आते जाते उससे कभी कभार मिल लेता था। उसके चेहरे पर बहुत ही मासूमियत थी। जब भी मैं उससे मिलता तो वह हमेशा मुझसे पूछती कि भैया...मैंं ठीक हो जाऊंगी न...मैं भी उसको पूरे विश्वास के दिलासा दिलाता था कि हां...तू बिल्कुल ठीक हो जाएगी। इतना सुनने के बाद वह मुस्कुरा देती थी। फिर कहती थी कि जब मैं ठीक हो जाऊं तो आप मेंरे गांव आना। वहां मैं आपको गाना सुनाऊंगी। फिर वह पता नहीं लद्दाखी भाषा में कोई लोकगीत गुनगुनाने लगती। करीब दो महीने तक दाखिल रहने के बाद डॉक्टरों ने उसको घर भेज दिया।
उसको गए हुए करीब छह सात महीने हो गए थे। उसकी कोई खोज खबर नहीं थी। तभी मैंने उस एनजीओ को फोन करके ताशी का हाल लेने के उसका कोई कांटेक्ट नंबर मांगा। नंबर लेने के दो-तीन दिन बाद मैंने जब फोन कर ताशी का हाल लिया तो पता चला कि...वह अब इस दुनिया में नहीं रही। फोन करने वाले शख्स को जब मैंने अपना परिचय दिया तो उसने बस इतना ही कहा...आप मुझे बाद में फोन करना ...मैं ताशी के अंतिम संस्कार में ही खड़ा हूं।
मैं स्तब्ध रह गया...सोचने लगा कि...वही ताशी...जिसने ठीक होने के बाद न जाने क्या क्या सपने देखे थे...आज लद्दाख के किसी इलाके में उसके सपने दफन हो रहे हैं...उसे गाना गाना अच्छा लगता था...आज के बाद उसकी आवाज उन बर्फीले इलाकों में कभी नहीं गूजेंगी...उसकी छोटी छोटी आंखों के हजारों सपने बिखर गए होंगे...मन में बार बार यही आ रहा था कि पता नहीं उसको हमारी याद होगी भी या नहीं...लेकिन न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि एक अंजान रिश्ता आज हमेशा हमेशा के लिए टूट गया...
1 comment:
रिश्तें हमेशा इंसान से ऊपर होतें हैं दोस्त....इंसान मर जाता है पर रिश्ता कभी नहीं मरता....अच्छा प्रयास है आपका !
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