Wednesday, June 22, 2011

कंपनी वाले भगवान...

पेरिस वाली आंटी को गणेश जी देना है तो किसी अच्छी कंपनी वाले गणेश जी लेना...वो दिखने में एकदम गणेश जी लगते हैं...मेरी भाभी जी ने मुझे लखनऊ से फोन करके यही कहा।
दरअसल मेरी एक बहुत करीबी महिला मित्र हैं, उनकी उम्र पचास साल के आस पास है इसलिए उनको में आंटी कहता हूूं। मूलत: पेरिस की रहने वाली हैं और हमारे एक घरेलू कार्यक्रम में शरीक होने लखनऊ पहुंची थी। उनका कार्यक्रम मेरे साथ इसी सोलह जून को वापसी में चंडीगढ़ भी आने का बना। चूंकि बड़े दिनों बाद वह मेरे पास चंडीगढ़ आ रहीं थी इसलिए मैंने सोचा कि उनको भगवान गणेश जी की प्रतिमा भेंट करूं।
खैर, भगवान विदेश जा रहे थे...दुनिया के सबसे फैशनेबल शहर में वह किसी के घर में बने गिरिजाघर में विराजेंगे सो मेंने भी सोचा कि कंपनी के भगवान ही बेहतर हैं। चूंकि मेरी भाभी जी ने कहा था गणेश जी कंपनी के लेना इसलिए मेरा रुझान इस ओर कुछ और भी बढ़ गया था। मैं सेक्टर सत्रह की एक गिफ्ट शॉप पर चला गया। वहां पहुंचा तो देखा तमाम कंपनियों के भगवान हैं। जो अच्छी कंपनी और ज्यादा कीमत वाले भगवान थे उनके  फीचर्स ज्यादा शार्प थे और जो जरा हल्की फुल्की कंपनी के थे उनके फीचर्स कुछ कुछ ठीक टाइप के थे या यूं कहलें कि काम चलाऊ थे...और जो लोकल टाइप की कंपनी के भगवान थे उनके  तो कोई फीचर्स ही नहीं थे। दुकानदार का कहना था कि लोकल कंपनी वाले माल में शकल पर मत जाओ...श्रृद्धा को देखो और जो जिस भगवान को लेना चाहते हो उसका नाम लेकर कोई सा भी आंख बंद करके खरीद लो...।
इतना सब देखने के बाद तो दिमाग में आया कि भगवान तो कंपनी के ही लेने में फायदा हैं। वरना क्या फायदा लोकल कंपनी के भगवान ले जाऊं और फिर घर में यह सिद्ध करता घूमूं कि...भई जो में लाया हूं वह गणेश भगवान ही हैं। खैर मैनें ब्रांडेड  कंपनी के रुमार्ट वाले गणेश जी को पसंद कर ही लिया। उनकी पैकिंग करवाई...और अपनी गाडी में आ गया...कार की जैसे ही चाबी ऐंठी तो एफएम पर प्रदीप जी का बड़ा पुराना एक गीत आ रहा था...चांद न बदला, सूरज न बदला न बदला ये आसमान, कितना बदल गया इंसान...देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान...कितना बदल गया इंसान...मैं भी इस गाने का आनंद उठाता हुआ धीरे धीरे अपने घर की ओर चल दिया...।