Wednesday, May 1, 2013

लिखा था मजदूर दिवस मुबारक हो...

सुबह पांच बजे उठा था। नहा धोकर तैयार हुआ। पौने छह बजे एयरफोर्स स्टेशन पर एक कार्यक्रम कवर करने पहुंचना था। सवा नौ बजे कार्यक्रम खत्म हुआ तो एक इंटरव्यू किया। वहां से सीधे मीटिंग के लिए दफ्तर भागा। सवा दस बजे के करीब ऑफिस पहुंचा। साढ़े ग्यारह बजे मीटिंग खत्म हुई। लिस्टिंग की। दफ्तर से नीचे उतरा। पौने बारह बजे पीजीआई पहुंचा। सवा बारह बजे वहां से निकला। अब तक चाय नहीं नसीब हुई थी। कुछ दोस्तों के साथ कैफे कॉफी डे पहुंचा। कॉफी का हलक गले से नीचे उतरा भी नहीं था कि भूकंप आ गया। कॉफी छोड़कर बाहर भागा। भूकंप की स्टोरी करने में जुट गया। मौसम विभाग के दफ्तर पहुंचा। भूकंप के आंकड़े जुटाए। तीन बज गए। वापस दफ्तर पहुंचा। कम्प्यूटर खोला। खबरे लिखनी शुरू की। डिफेंंस आफीसर का इंटरव्यू। इंडो-चाइना बार्डर के तनाव की स्टोरी। डिफेंस की रूटीन खबर। भूकंप की लाइव स्टोरी। भूंकप की आंकड़ेबाजी। रेलवे की अपनी खबर का असर। एलपीजी ऑटो वालों की हड़ताल। पीजीआई के डॉक्टरों के अवार्ड की खबर। कुछ विशेष ट्रेनों के चलाए जाने की खबर। नौ बजे गए खबरें लिखते लिखते। इसी बीच राजमा चावल जरूर खाए। साढ़े नौ बजे चेक चुक मार कर नीचे आया। गाड़ी उठाई। घर निकला। सवा दस बजे पंचकूला ऑफिस पहुंचा। वहां कैंटीन वाले ने बताया आज आपको खाना नसीब नहीं होगा। क्योंकि नॉनवेज बना है। पौने ग्यारह बजे घर पहुंचा। प्रिज खोला। दही निकाला। काले नमक के साथ मिक्स किया। खा लिया यह सोचकर कि चलो कुछ पेट ही कम हो जाएगा अगर एक रात खाना नहीं खाऊंगा।
पूरा दिन गुजर गया। पता ही नहीं चला कि आज वल्र्ड लेवर डे था। अभी फेसबुक पर अपडेट पढ़ा। लिखा था मजदूर दिवस मुबारक हो...चेहरे पर मुस्कान खुद ब खुद यूं ही आ गई...